श्रीशुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी ॐ मङ्गलाचरणम् वन्दे सिद्धिप्रदं देवं गणेशं प्रियपालकम् । विश्वगर्भं च विघ्नेशं अनादिं मङ्गलं विभूम् ॥ अथ ध्यानम् - ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारु चन्द्रवतंसम् । रत्नाकल्पोज्ज्वलाङ्गं परशु मृगवरं भीतिहस्तं प्रसन्नम् ॥...
Chhatradhar Sharma
श्रीमद्भागवताऽमृतम्-देवतरा
।।श्रीमद्भागवताऽमृतम्।। इस कथा का Live प्रसारण हमारे YouTube चैनल में नित्य होगा। सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे। तापत्रय विनाशाय...
कुछ याद रहे कुछ भुला दिए
कुछ याद रहे कुछ भुला दिए हम प्रतिक्षण बढ़ते जाते हैं, हर पल छलकते जाते हैं, कारवां पीछे नहीं दिखता, हर चेहरे बदलते जाते हैं। हर पल का संस्मरण लिए, कुछ धरे, कुछ विस्मृत किए, अनगिनत शब्दों को सजाकर कुछ याद रहे कुछ भुला दिए। कितने पगडंडी पर चले, कितने उपवन, डगर मिले,...
चौरासी लाख योनियों का रहस्य
चौरासी लाख योनियों का रहस्य हिन्दू धर्म में पुराणों में वर्णित ८४००००० योनियों के बारे में आपने कभी ना कभी अवश्य सुना होगा। हम जिस मनुष्य योनि में जी रहे हैं वो भी उन चौरासी लाख योनियों में से एक है। अब समस्या ये है कि कई लोग ये नहीं समझ पाते कि वास्तव में इन योनियों...
देवर्षि नारद
जब दूसरा सत्ययुग चल रहा था, उस सतयुग में सारस्वत नामक एक ब्राह्मण हुए, उन्हें सारे वेद वेदाङ्ग पुराण कंठस्थ थे । उत्तम बुद्धि तो ब्राह्मण के पास थी ही, साथ ही उनके पास अचूक सम्पति और सेवा करने वाले अनेको सेवको की भरमार थी ।। एक दिन देवयोग से ब्राह्मण एकांत में बैठकर...
भगवान परशुराम
भगवान परशुराम परशुराम जी स्वभाव से क्यों थे इतने क्रोधी? आखिर क्षत्रियों से क्यों हुआ इनको बैर? सूर्य पुत्र वैवस्वत मनु हुए, इन्हें श्राद्धदेव भी कहते थे। इनकी पत्नी श्रद्धादेवी से एक कन्या हुई, नाम था इला। इला को वशिष्ठ जी ने अपने तप बल से लड़का बना दिया। नाम पड़ा...
मां नर्मदा
मां नर्मदा कहते हैं नर्मदा ने अपने प्रेमी शोणभद्र से धोखा खाने के बाद आजीवन कुंवारी रहने का फैसला किया लेकिन क्या सचमुच वह गुस्से की आग में चिरकुवांरी बनी रही या फिर प्रेमी शोणभद्र को दंडित करने का यही बेहतर उपाय लगा कि आत्मनिर्वासन की पीड़ा को पीते हुए स्वयं पर ही...
विवाह में सात फेरे ही क्यों लेते हैं?
विवाह में सात फेरे ही क्यों लेते हैं? आखिर हिन्दू विवाह के समय अग्नि के समक्ष सात फेरे ही क्यों लेते हैं? दूसरा यह कि क्या फेरे लेना जरूरी है? पाणिग्रहण का अर्थ : - पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से 'विवाह' के नाम से जाना जाता है। वर द्वारा नियम और वचन स्वीकारोक्ति...
जीवन का कठोर सत्य
जीवन का कठोर सत्य भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठ कर कैलाश पर्वत पर गए। द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर स्वयं शिव से मिलने अंदर चले गए। तब कैलाश की अपूर्व प्राकृतिक शोभा को देख कर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे कि तभी उनकी नजर एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी। चिड़िया कुछ इतनी सुंदर थी कि...
कुण्डलीमिलान—कितना उचित, कितना व्यावहारिक?
कुण्डलीमिलान—कितना उचित, कितना व्यावहारिक लड़का-लड़की के विवाह हेतु दोनों की जन्मकुण्डली का मिलान करने की परम्परा है, जिसे मेलापकविचार, अष्टकूटमिलान, गणनादेखना या गुणमिलाना कहते हैं। इस क्रम में हम क्या करते हैं, क्या करना चाहिए, परम्परा कब से है, कितना सार्थक है,...
तेरी आरती उतारूं नंद लाल जी।
तेरी आरती उतारूं नंद लाल जी। आवो आवो है मेरे गोपाल जी।। हिमालय की शुभ्र ज्योत्सना। पावन मन की शीतल भावना।। तुमको परोसूं भरी थाल जी। आवो आवो है मेरे गोपाल जी।। तुम मालिक मैं दास तुम्हारा। सारे जग के सिरजनहारा।। करुणाकर वत्सपाल जी। आवो आवो है मेरे गोपाल जी।। मैं भटकूं...
दान का रहस्य
दान का रहस्य स्कन्द पुराण में वर्णन है कि राजा धर्मवर्मा ने दान के तत्व जानने के लिए तप किया तो आकाशवाणी द्वारा एक श्लोक में इसके रहस्य का वर्णन किया गया ---- द्विहेतुः षडधिष्ठानं षडअंगं च द्विपाकयुक। चतुष्प्रकार त्रिविधं त्रिनाशं दानमुच्यते।। अर्थात दान के दो हेतु,...
विश्वविजय सरस्वती कवच
विश्वविजय सरस्वती कवच श्रीब्रह्मवैवर्त-पुराण के प्रकृतिखण्ड, अध्याय ४ में मुनिवर भगवान् नारायण ने मुनिवर नारदजी को बतलाया कि ‘विप्रेन्द्र ! सरस्वती का कवच विश्व पर विजय प्राप्त कराने वाला है। जगत्स्त्रष्टा ब्रह्मा ने गन्धमादन पर्वत पर भृगु के आग्रह से इसे इन्हें बताया...
सम्राट विक्रमादित्य
सम्राट विक्रमादित्य सम्राट विक्रमादित्य के नाम से विक्रम संवत चल रहा और 2078 पूर्ण होकर 2 अप्रैल (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से 2079 विक्रम संवत आरम्भ हो रहा। महान सम्राट महाराजा विक्रमादित्य (विक्रम सेन परमार) और उनकी वीरता और महानता के बारे में आज देश के सिर्फ़ मुट्ठी...
श्रीमद्भागवताऽमृतम् – अमलीडीह
।।श्रीमद्भागवताऽमृतम्।। इस कथा का Live प्रसारण हमारे YouTube चैनल में नित्य होगा। सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे। तापत्रय विनाशाय...
श्रीमद्भागवताऽमृतम् – कोरबा
।।श्रीमद्भागवताऽमृतम्।। इस कथा का Live प्रसारण हमारे YouTube चैनल में नित्य होगा। सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे। तापत्रय विनाशाय...
श्रीमद्देवीभागवतम् – करिगांव जैजैपुर
॥श्रीमद्देवीभागवतम्॥ इस कथा का Live प्रसारण हमारे YouTube चैनल में नित्य होगा। या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै...
भास्कराचार्य Bhashkaracharya
भास्कराचार्य Bhashkaracharya भास्कराचार्य प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं ज्योतिषी थे। इनके द्वारा रचित मुख्य ग्रन्थ सिद्धान्त शिरोमणि है जिसमें लीलावती, बीजगणित, ग्रहगणित तथा गोलाध्याय नामक चार भाग हैं। ये चार भाग क्रमशः अंकगणित, बीजगणित, ग्रहों की गति से...
महर्षि कणाद- परमाणु शास्त्र के जनक
महर्षि कणाद- परमाणु शास्त्र के जनक महर्षि कणाद को परमाणु सिद्धांत का जनक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि आज से वे 2600 वर्ष पहले हुए थे। वे एक महान ऋषि भी थे और उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या करने आध्यात्मिक ऊर्जा और शक्ति प्राप्त की थी। उनका जन्म नाम कश्यप था।...
महर्षि दधीचि
महर्षि दधीचि दधीचि वैदिक ऋषि थे। उनके पिता एक महान ऋषि अथर्वा जी थे और माता का नाम शांति था। वे ब्राह्मण कुल के थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन शिव की भक्ति में व्यतीत किया था। दधीचि प्राचीन काल के परम तपस्वी और ख्यातिप्राप्त महर्षि थे। उनकी पत्नी का नाम ‘गभस्तिनी’ था।...
श्रीमद्भागवतामृतम्- बोधीपारा
।।श्रीमद्भागवतामृतम्।। सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे । तापत्रय विनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः ।। क्रमांक- 189/2022 स्थान-ग्राम बोधीपारा सौजन्य - श्रीविजय यादव सपरिवार (सरपंच ग्राम पंचायत हरियरपुर) प्रवचन समय- दोपहर 11 बजे से सायं 05 बजे तक पारायण कर्ता- पं....
अनंत चतुर्दशी
अनंत चतुर्दशी 14 गांठों का रहस्य? इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इस दिन 14 गांठों वाला अनंत सूत्र भी बांधा जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन होती है भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा, हाथ में बांधते हैं 14 गांठ, जानें 14 गांठों का रहस्य। भाद्रपद मास के...
कर्मबीज
कर्मबीज मैं रहूं या ना तुम चलो खुद से पथ मिलेगा। नैपथ्य जो है अंधेरे में तो भी क्या लव साथ है अहर्निश तू जला बूझा सो क्योंकि तू करूणा है नवसृजन ही है लक्ष्य तुम्हारा स्वयं में सृज साख बनेंगे सदीयों तक छोड़ कर्म के...
भगवान् के नाम का इन परिस्थितियों विशेष प्रभाव
भगवान् के नाम का इन परिस्थितियों विशेष प्रभाव भगवान विष्णु के १६ नामों का एक छोटा श्लोक प्रस्तुत है । इसमें मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए, इसका उल्लेख किया गया है:- औषधे चिंतयते विष्णुं भोजन च जनार्दनम। शयने पद्मनाभं च...
ऐसो गति करो नन्दलाल।
ऐसो गति करो नन्दलाल। गंगा जमुना जल मुखमांहि, कण्ठ तुलसीका माल॥०१॥ महाप्रसाद नित भोजन होवे, पादोदक सोहे भाल॥०२॥ सन्ध्या पूजन सतसंग मिले नित, कीर्तन धुन करताल॥३॥ अजपा सांस ब्यर्थ नहीं जावे, मिट जावे जग जाल॥०૪॥ "छत्रधर" नाम सहज होई जावे, अन्त मिलो...
जानिए – दशहरा का वास्तविक अर्थ क्या है?
जानिए - दशहरा का वास्तविक अर्थ क्या है? ‘दशहरा’ एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “दस को हरने वाली [तिथि]”। “दश हरति इति दशहरा”। ‘दश’ कर्म उपपद होने पर ‘हृञ् हरणे’ धातु से “हरतेरनुद्यमनेऽच्” (३.२.९) सूत्र से ‘अच्’ प्रत्यय होकर ‘दश + हृ + अच्’ हुआ, अनुबन्धलोप होकर ‘दश +...
महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र
महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।१।। हे हिमालायराज की कन्या,...
सामगानां सन्ध्या प्रयोग
।। ऊँ श्रीभास्कराय नमः ।। ।। श्रीगणेशाय नमः।। अथ सामगानां सन्ध्या प्रयोग प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र...
देवर्षि-पितृ-मनुष्याणां तर्पणविधि
।। देवर्षि-पितृ-मनुष्याणां तर्पणविधि।। पवित्रिधारणम्- ऊँ अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत्...
हरि मेरो हरो ज्ञान अभिमान
हरि मेरो हरो ज्ञान अभिमान। कोई बात सुनो नहीं जब लौं, होय न करूणा गान॥०१॥ सोई धन छिन लेहू यदुनन्दन, बिस्मृत रहे भगवान्॥०२॥ ज्ञान मान सब झार निकालहु, चलतो अन्तिम प्रान॥०३॥ बेद पुरान को तत्व न चाहि, केवल पदपद्मन् ध्यान॥०૪॥ "छत्रधर" सब जग जोरि मैं राख्यो, केवल हितु...
मलमास में मृतक का वार्षिक श्राद्ध कब करें?
प्र. मलमास में मृत व्यक्ति का वार्षिक श्राद्ध कब करना चाहिये? उ. एक वर्ष बाद शास्त्रीय प्रमाण क्या है? गरुण पुराण प्रेतकल्प अध्याय 13 श्लोक संख्या 101 से 106 तक एकस्मिन्मासि मासाै द्वाै यदि स्यातां तयाेर्द्वयाेः | तावेव पक्षाै तावेव तिथस्त्रिंशदेव हि || 101 तिथ्यर्ध...
श्रीमद्भागवतामृतम्- नानापुरी
।।श्रीमद्भागवतामृतम्।। सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हतेवे । तापत्रय विनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः ।। क्रमांक- 188/2021 स्थान-ग्राम नानापुरी सौजन्य - श्रीदर्शनलाल साहू सपरिवार प्रवचन समय-दोपहर 11 बजे से सायं 05 बजे तक आचार्य- पं. पारसमणी शर्मा नानापुरी पारायण...
वह कौन?
वह कौन? जो नित्य, साश्वत, शुद्ध-बुद्ध। निरस्पृह, निर्मम और प्रतिक्षण संशुद्ध। जल पवन अग्नि आकाश धरा से पृथक्। तन्मात्रायें, तत्व, अन्त:करण गति अथक्। वेद संवेद मानाभिमान। नाम रूप रंग प्रत्याभिमान। शुक्ष्म स्थूल दृश्यादृश्य। हृदयस्थ सर्वत्र स्पृश्याश्पृश्य॥ नित्य पुरातन...
श्रीगणेशस्तोत्रम्
।।श्रीगणेशस्तोत्रम् ।। श्रीगौरीसुतवीरबालकवरो यो वै गणानां पतिः बुद्धिरूपकदेव एव भुवने सर्वेषु यो मान्यते । सर्वज्ञस्स गजाननो गणपतिः साक्षात्स माहेश्वरो वन्दे तं हि विमुक्तिसाधकवरं शैवं गणेशं भजे ।।१।। ये ये त्वां कथयन्ति विप्रतिमतिं ते सूरयस्सर्वदा । ते नित्यं...
राघवयादवीयम्
।। श्रीगणेशाय नम:।। राघवयादवीयम् क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो रामायण की कथा पढ़ी जाए और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े तो कृष्ण भागवत की कथा सुनाई दे। जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शती के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ राघवयादवीयम् ऐसा ही...
हे री जब ते श्याम निहारे कुंजन को।
हे री जब ते श्याम निहारे कुंजन को। नव नव सुमन खिले सब बृक्षन, नित नवीन पुष्पन को॥०१॥ कुसुम गुच्छ निज हाथ लिये हरि, तरसत भानुलली दरसन को॥०२॥ इत उत देखत दौरि चलत कहूं, न धीर देत नयनन को॥०३॥ जगत छोरि जगदीश धावलै, भानुसुता हरषन को॥०૪॥ ऐसो उदार नन्दलाल "छत्रधर", जनमि लिये...
श्रीमद्भागवतामृतम् – भुसुण्डी
श्रीमद्भागवतामृतम् श्रीराधा सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे । तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः ।। क्रमांक - 186/2021 स्थान -भुसुण्डी सौजन्य - श्रीउमेशकुमार साहू, श्रीउमाशंकर साहू एवं समस्त परिवार कथाव्यास- पं. छत्रधर शर्मा पारायणकर्ता- पं. फणीश्वर शर्मा...
श्रीगणेश पंचरत्न स्तोत्रम्
श्रीगणेश पंचरत्न स्तोत्रम् मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम् । अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ॥१॥ नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम् । सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं...
श्रीराम वनगमन मार्ग- 14 वर्ष कठोर वनवास
श्रीराम वनगमन मार्ग- (Ram Van Gaman Marg) 14 वर्ष के वनवास में श्रीराम वनगमन मार्ग में प्रमुख रूप से 17 जगह रुके, देखिए यात्रा का नक्शा... प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास हुआ। इस वनवास काल में श्रीराम ने कई ऋषि-मुनियों से शिक्षा और विद्या ग्रहण की, तपस्या की और भारत...
दीपश्राद्ध
दीपश्राद्ध Deepshraddha हमारी परम्पराओं में बहुत सी बातें ऐसी हैं, जिनके बारे में हम बिलकुल नहीं जानते। कुछ के बारे में जानते भी है, तो आधे-अधूरे या गलत रुप से। दीपश्राद्ध भी उन्हीं में एक है। प्रस्तुत प्रसंग में थोड़ी चर्चा किए देता हूँ। नित्यकर्मों में देव और पितृ...
शिव तांडव स्तोत्र 17 श्लोक How to read shivtandavstotram
शिव तांडव स्तोत्र शिव तांडव स्तोत्र श्लोक 01 जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिवो शिवम् ॥१॥ सघन जटामंडलरूपी वनसे प्रवहित हो रही गंगाजल की धाराएँ जिन शिवजी के पवित्र कंठ को...
शिव सहस्त्रनाम
शिव सहस्त्रनाम ॐ स्थिराय नमः॥ॐ स्थाणवे नमः॥ॐ प्रभवे नमः॥ॐ भीमाय नमः॥ॐ प्रवराय नमः॥ॐ वरदाय नमः॥ॐ वराय नमः॥ॐ सर्वात्मन नमः॥ ॐ सर्वविख्याताय नमः॥ ॐ सर्वस्मै नमः॥ ॐ सर्वकाराय नमः॥ॐ भवाय नमः॥ॐ जटिने नमः॥ॐ चर्मिणे नमः॥ ॐ शिखण्डिने नमः॥ ॐ सर्वांङ्गाय नमः॥ ॐ सर्वभावाय नमः॥ ॐ...
गोपीगीत
गोपी गीत डाउनलोड करें। रासक्रीड़ा आरंभ हुई, खूब ऊँचे स्वर से गान होने लगा। गोपियाँ प्रेम से नाचने लगीं। इस प्रकार वहाँ अपूर्व आनन्द छा गया। धीरे-धीरे भगवान की समीपता पाकर गोपियों को यह गर्व हुआ कि भूतल की स्त्रियों में हम ही सर्वश्रेष्ठ हैं। भगवान तो सर्वथा असंग हैं।...
वैदिक गणित
पुस्तक पढ़ने हेतु चित्र पर क्लिक करें। युवकों को वैदिक प्रणाली सीखने व सिखाने के लिए एक पुस्तिका तैयार की गई है, जो इसके साथ गणित के बुनियादी पहलुओं को समझाती है। यह तीन पुस्तिकाओं (प्रारंभिक, मध्यवर्ती एवं उन्नत) में से एक...
अष्टादसश्लोकी गीता
पुस्तक पढ़ने हेतु चित्र पर क्लिक करें। श्रीमद भगवद गीता का माहात्म्यं श्री वाराह पुराण में गीता का माहात्म्यं बताते हुए श्री विष्णु जी कहते हैं : श्रीविष्णुरुवाच: प्रारब्ध को भोगता हुआ जो मनुष्य 'सदा' श्रीगीता के अभ्यास में...
आयुर्वैदिक प्रयोग ०२
अमृत धारा ---------------- घटक - कपूर - 10 ग्राम, फूल पिपरमेण्ट - 10 ग्राम, अजवायन सत - 10 ग्राम। बनाने की विधि- सभी औषधि को एक शीशी में मिलाकर मुंह बन्दकर रख दें। कुछ समय पश्चात् दवा तैयार हो जायगा। गुण और उपयोग- तीनों प्रकार के हैजा, अजीर्ण, बदहजमी, पेट के दर्द,...
आयुर्वैदिक प्रयोग ०१
हमारे समाज में देखा जाता है कि कुछ बजुर्ग ऐसे होते हैं जिन्हें उनके शरीर के जोड़ों में या अन्य अवयवों में असहनीय दर्द होता है। बच्चे दवा दे जाते हैं परन्तु सेवा नहीं कर पाते। प्राय: सभी दवाओं में ये लिखा रहता है कि दवा दर्द के स्थान पर लगा कर मालिश करें। पर...
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