कर्मबीज
मैं रहूं या ना
तुम चलो खुद से
पथ मिलेगा।
नैपथ्य जो है
अंधेरे में तो भी क्या
लव साथ है
अहर्निश तू
जला बूझा सो क्योंकि
तू करूणा है
नवसृजन
ही है लक्ष्य तुम्हारा
स्वयं में सृज
साख बनेंगे
सदीयों तक छोड़
कर्म के बीज
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कुछ याद रहे कुछ भुला दिए हम प्रतिक्षण बढ़ते जाते हैं, हर पल छलकते जाते हैं, कारवां पीछे नहीं दिखता, हर चेहरे बदलते जाते हैं। हर पल का संस्मरण लिए, कुछ धरे,...
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Very nice Sir