कर्मबीज
मैं रहूं या ना
तुम चलो खुद से
पथ मिलेगा।
नैपथ्य जो है
अंधेरे में तो भी क्या
लव साथ है
अहर्निश तू
जला बूझा सो क्योंकि
तू करूणा है
नवसृजन
ही है लक्ष्य तुम्हारा
स्वयं में सृज
साख बनेंगे
सदीयों तक छोड़
कर्म के बीज
Wellcome to CDSHARMA.IN
श्रीशुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी ॐ मङ्गलाचरणम् वन्दे सिद्धिप्रदं देवं गणेशं प्रियपालकम् । विश्वगर्भं च विघ्नेशं अनादिं मङ्गलं विभूम् ॥ अथ ध्यानम् -...
कुछ याद रहे कुछ भुला दिए हम प्रतिक्षण बढ़ते जाते हैं, हर पल छलकते जाते हैं, कारवां पीछे नहीं दिखता, हर चेहरे बदलते जाते हैं। हर पल का संस्मरण लिए, कुछ धरे,...
चौरासी लाख योनियों का रहस्य हिन्दू धर्म में पुराणों में वर्णित ८४००००० योनियों के बारे में आपने कभी ना कभी अवश्य सुना होगा। हम जिस मनुष्य योनि में जी रहे हैं...
Copy न करें, Share करें।
Very nice Sir