भागवती भूगोल Bhagawati Bhugol
प्रिय सुहृद्जन,
सादर हरिस्मरण।
बहुत दिनों से एक विचार मन में आ रहा था कि श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित भौगोलिक स्थितियों का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रत्याभिज्ञान लाया जाय जो सटीक और पूर्ण प्रामाणिक हो। साथ साथ रूचिकर तथा अन्य भूगोलविद् विद्वानों का सम्मति भी समावेष हो।
श्रीमद्भागवत महापुराण के षताधिक कथा वाचन कर लेने के बाद भी भागवत में वर्णित भूगोल का सही सही वर्णन वर्तमान चिन्हित भूभागों से कैसे किया जाय? यह विचार हर भागवत मंच पर आता रहा। नक्से देखकर भागों का आंकलन असम्भव सा प्रतीत हो रहा था।
बहुत से भूगोलविदों के प्रामाणिक ग्रन्थों को पढ़ने की ईच्छा होती परन्तु ये ग्रन्थ मिलेंगे कहां? इस विचार से कईयों के पास निवेदन किया पर हाथ कुछ नहीं लगा। फिर एक अधूरी किताब हाथ लगी, उसमें अनेक भूगोलविदों के सम्मतियुक्त प्रामाणिक वर्णन मुझे अच्छा लगा। दोनों को मिलाकर श्रीमद्भागवत महापुराण के भूगोलखण्ड का अध्ययन प्रारम्भ हुआ। और यह लघु पुस्तिका आपके समक्ष है।
मुझे विष्वास है इस पुस्तिका के माध्यम से भागवत में वर्णित भूगोल का सही सही ज्ञात करने में हमें सहायता प्राप्त होगी। पाष्चात्य षिक्षण पद्धति से पढ़ने वाले युवा साथी भागवत में वर्णित भूगोल को कोरा मान लेते हैं, यह पुस्तिका उन्हें भी सही मार्ग देगी और अपने प्राचीन तथा अर्वाचीन ग्रन्थों के अध्ययन के तरफ उनके मस्तिश्क को प्रेरित करेगी।
स्वयं के प्रामाणिक ग्रन्थों के अध्ययन और अनुषीलन न करने का परिणाम यह हुआ कि हम अपने प्राचीन परम्परागत प्राप्त ज्ञान से दूर हो गये और पाष्चात्य विद्वानों के द्वारा लिखे गये सोध और खोज को हमने सर्वश्रेश्ठ मान लिया, जबकि हमारे ऋशियों के खोज और अनुसंधान के सामने इनकी तुलना हास्यास्पद है।
भागवती भूगोल Bhagawati Bhugol
इसमें जो कुछ वर्णन मिलेगा वे खोज ब्यक्तिगत मेरे नहीं है, ये सारे तथ्य उन महानुभावों का है जिन्होंने अपना सारा जीवन इस विशय पर दे दिया, उन्हें अभिनन्दन है। मैंने तो मात्र संकलन किया है।
पुनः हरिस्मण करते हुए आप सभी को यह पुस्तिका प्रदान करते हुए हर्श हो रहा है। भूल और दोशों के लिए क्षमा चाहता हूं।
दिनांक0 9/11/2017 आपका- पं.छत्रधर षर्मा
Reviews
There are no reviews yet.