हे री जब ते श्याम निहारे कुंजन को।

by | Apr 10, 2021 | 0 comments

हे री जब ते श्याम निहारे कुंजन को।
नव नव सुमन खिले सब बृक्षन, नित नवीन पुष्पन को॥०१॥
कुसुम गुच्छ निज हाथ लिये हरि, तरसत भानुलली दरसन को॥०२॥
इत उत देखत दौरि चलत कहूं, न धीर देत नयनन को॥०३॥
जगत छोरि जगदीश धावलै, भानुसुता हरषन को॥०૪॥
ऐसो उदार नन्दलाल “छत्रधर”, जनमि लिये जग जनम दहन को॥०५॥

Written By Chhatradhar Sharma

***************************** Bhagawat Katha, Ram Katha ***************************** I'm an EXPERIENCED Web developer, I'm ready to do your job. Please initiate a CHAT to discuss complete requirements. I have more than 9 YEARS of experience in Web Development and Designing. I can do your job within time. Thanks, CDSHARMA https://www.cdsharma.in

Related Posts

श्रीशुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी

श्रीशुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी

श्रीशुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी ॐ मङ्गलाचरणम् वन्दे सिद्धिप्रदं देवं गणेशं प्रियपालकम् । विश्वगर्भं च विघ्नेशं अनादिं मङ्गलं विभूम् ॥ अथ ध्यानम् -...

कुछ याद रहे कुछ भुला दिए

कुछ याद रहे कुछ भुला दिए

कुछ याद रहे कुछ भुला दिए हम प्रतिक्षण बढ़ते जाते हैं, हर पल छलकते जाते हैं, कारवां पीछे नहीं दिखता, हर चेहरे बदलते जाते हैं। हर पल का संस्मरण लिए, कुछ धरे,...

चौरासी लाख योनियों का रहस्य

चौरासी लाख योनियों का रहस्य

चौरासी लाख योनियों का रहस्य हिन्दू धर्म में पुराणों में वर्णित ८४००००० योनियों के बारे में आपने कभी ना कभी अवश्य सुना होगा। हम जिस मनुष्य योनि में जी रहे हैं...

Comments

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copy न करें, Share करें।