कर्मबीज

कर्मबीज

कर्मबीज

मैं रहूं या ना
तुम चलो खुद से
पथ मिलेगा।

नैपथ्य जो है
अंधेरे में तो भी क्या
लव साथ है

अहर्निश तू
जला बूझा सो क्योंकि
तू करूणा है

नवसृजन
ही है लक्ष्य तुम्हारा
स्वयं में सृज

साख बनेंगे
सदीयों तक छोड़
कर्म के बीज

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