मलमास में मृतक का वार्षिक श्राद्ध कब करें?

मलमास में मृतक का वार्षिक श्राद्ध कब करें?

प्र. मलमास में मृत व्यक्ति का वार्षिक श्राद्ध कब करना चाहिये?
उ. एक वर्ष बाद
शास्त्रीय प्रमाण क्या है?
गरुण पुराण प्रेतकल्प अध्याय 13 श्लोक संख्या 101 से 106 तक
एकस्मिन्मासि मासाै द्वाै यदि स्यातां तयाेर्द्वयाेः |
तावेव पक्षाै तावेव तिथस्त्रिंशदेव हि || 101
तिथ्यर्ध प्रथमे पूर्वाे द्वितीयाSर्धे तदुत्तरः |
मासाविति बुधैश्चिन्त्याै मालमासस्य मध्यगाै || 102
अर्थात एक माह में दूसरा महीना आ जाए यानी अधिक मास हो तो तिथि तीस ही जानना अधिक मास में मृत्यु हो तो उसका वार्षिक और मासिक श्राद्ध तिथि के पूर्वार्ध और उत्तर भाग में करें शुक्ल पक्ष का कृष्ण पक्ष में कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष में समायोजन करें | किंतु तिथि वही ग्रहण करें | अधिक मास हमेशा शुक्ल पक्ष में लगता है यदि कोई व्यक्ति आश्विन अधिक मास के शुक्ल पक्ष पंचमी को दिवंगत होता है तो उसकी मासिक श्राद्ध कृष्णा पंचमी को होगी और वार्षिक श्राद्ध आश्विन कृष्ण पंचमी को होगी इसी तरह अधिक मास कृष्ण पक्ष दशमी को दिवंगत हुए व्यक्ति की मासिक श्राद्ध शुक्ल दशमी को और वार्षिक श्राद्ध आश्विन शुक्ल दशमी को होगी|
असंक्रान्ते च कर्तव्यं सपिण्डी करणं खग |
तथैव मासिकं श्रद्धं वार्षिकं प्रथमं तथा || 103
सम्बत्सरस्य मध्ये तप यदि स्यादधिमासकः|
तदा त्रयाेदशे मासि क्रिया प्रेतस्य वार्षिकी || 104
पिण्डवर्जमसंक्रान्ते संक्रान्ते पिण्ड संयुतम्|
प्रति सम्वत्सरं श्राद्धमेव मासद्वयेSपि च || 105
एवं संवत्सरे पूर्णे वार्षिकं श्रद्धमाचरेत् |
तस्मिन्नपि विशेषेण भाेजनीया द्विजातयः|| 106
अर्थात अधिक मास में मृत्यु हुई हो तो उसका सपिण्डी श्राद्ध वारहवें दिन और उसी में यानी अधिक मास में प्रथम मासिक श्राद्ध करें | यदि साल के मध्य में अधिक मास आ जाए तो तेरह माह तक मासिक क्रिया होगी मलमास में पिंडदान नहीं होगा और एक वर्ष में तेरह महीने पूर्ण होने के बाद वार्षिक श्राद्ध होगी | उसमें भी विशेषकर ब्रह्मण भाेजन करावे |
इस तरह गरुड़ पुराण में स्पष्ट है कि वार्षिक श्राद्ध एक वर्ष के बाद ही होगी |

निर्णय सिन्धु पृष्ठ 15

पैठीनस का बचन
मलमासमृतानां तु श्राद्धं यत्प्रति वत्सरम्|
मलमासेSपि कर्तव्यं नान्येषां तु कदाचन||
इस श्लोक को लेकर लोग भ्रमित होते हैं और इसका अर्थ करते हैं कि मलमास में मरे हुए व्यक्ति का वार्षिक श्राद्ध मलमास में ही करना चाहिए वस्तुतः ऐसा नहीं है यहां वार्षिक या आब्दिक शब्द नहीं आया है यहां प्रतिवत्सरम् शब्द आया है | मलमास में मरे हुए व्यक्ति का जो प्रतिवर्ष करने वाला श्राद्ध है जो लोग मृत्यु तिथि को हर वर्ष श्राद्ध करते हैं उनको तीसरे वर्ष जब मलमास आता है तो मलमास में भी करना चाहिए और शुद्धमास में भी करना चाहिए इसका अर्थ यह है यहां वार्षिक श्राद्ध के बारे में नहीं कहा गया है | किंतु शुद्ध महीने में मरे हुए व्यक्ति का श्राद्ध वार्षिक या मासिक मलमास में नहीं करना चाहिए|

हेमाद्रि मे व्यास का बचन है

मलमासमृतानां तु साैरं मानं समाश्रयेत्|
स एव दिवसस्तस्य श्राद्ध पिण्डाेदकादिषु||
अर्थात् – मलमास में मरे हुए व्यक्ति का सौर मान ग्रहण करना चाहिए | सौर मान क्या होता है ? जिसदिन मृत्यु हुई है उसदिन सूर्य किस राशि के कितने अंश में थे इसी को तिथि मानकर के अगली राशि में उतने अंश में जब आएंगे तब मासिक श्राद्ध होगी और एक साल बाद जब सूर्य उसराशि के उतने अंश में आएंगे तब उनकी वार्षिक श्राद्ध होगी | जैसे मलमास में जिस दिन मृत्यु हुई उस दिन कन्या राशि का सूर्य दश अंश का था तो जब अगले साल कन्या राशि का सूर्य दश अंश में आएगा तब वार्षिक श्राद्ध होगी|

किन्तु साैर मास नही लिया जा सकता

चान्द्रमिष्टं तथाब्दिके | मासपक्षतिथि स्पष्टे|
किंतु वार्षिक श्राद्ध में चंद्रमास इष्ट है मास पक्ष तिथि में श्राद्ध करें इस शब्द का विरोध होगा |
निर्णय – ताे गतवर्ष मलमासे मृतस्य- अस्मिन्वर्षे शुद्धाै तन्मासे मृततिथाै आब्दिकमवश्यं कार्यमेवेति निर्णयः|
अतः गत वर्ष मलमास में मृत प्राणी का एक वर्ष के बाद वार्षिक श्राद्ध अवश्य करना चाहिए यही निर्णय है |

वार्षिक श्राद्ध क्यों करते हैं?
गरुड़ पुराण के अनुसार प्राणी को जब दक्षिण मार्ग से ले जाते हैं तो उसमें एक वर्ष का समय लगता है और उस रास्ते में सोलह विश्राम स्थल हैं | वर्ष में साेलह पिंड दान दिए जाते हैं इन्हें उत्तम षोडशी कहते हैं मनुष्य के द्वारा दिए गए पिंडदान को ही उस जगह पर वह प्राणी भोग करता है और फिर आगे चल देता है इस तरह से साेलह विश्राम स्थलों में उसके परिजन के द्वारा दिए गए पिण्डाें का भोग करके वह प्राणी आगे जाता है और अंत में साेलहवें पिंडदान को बाद धर्मराज के पास उपस्थित होता है |

आजकल सोलह दिन वीस दिन में लाेग वार्षिक श्राद्ध कर देते हैं क्या यह सही है?

शास्त्रीय विधान नही है हर माह करना चाहिये |
पर यदि पहले किया जाता है ताे देशकालपरिस्थिति अनुसार गलत नही कहा जा सकता |आप अग्रिम पिण्डदान कर रहे हैं ताे प्रणी काे समयानुसार प्राप्त होगा | जैसे आपके वेतन के सोलह चेक दे दिये जांय आैर उसमें भुक्तान की तारीख जनवरी फरवरी मार्च डाल दी जाय ताे समय आने पे वह पैसा आपकाे मिल जायेगा | उसी प्रकार हरमाह पिण्ड न कर पाने वाले व्यक्ति के लिये उचित होगा कि वह अग्रिम उत्तम षोडशी कर ले |

अतः मलमास में मृत प्राणी का वार्षिक श्राद्ध एकवर्ष बाद उसी महीने की उस तिथि पर हाेगा | मल मास के शुक्ल पक्ष की जाे तिथि है उस महीने की कृष्ण पक्ष की वहीं तिथि ली जाएगी मल मास कृष्ण पक्ष की जो तिथि है उसी महीने की शुक्ल पक्ष की तिथि ली जाएगी |

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