तेरी आरती उतारूं नंद लाल जी।

तेरी आरती उतारूं नंद लाल जी।

तेरी आरती उतारूं नंद लाल जी।
आवो आवो है मेरे गोपाल जी।।

हिमालय की शुभ्र ज्योत्सना।
पावन मन की शीतल भावना।।
तुमको परोसूं भरी थाल जी।
आवो आवो है मेरे गोपाल जी।।

तुम मालिक मैं दास तुम्हारा।
सारे जग के सिरजनहारा।।
करुणाकर वत्सपाल जी।
आवो आवो है मेरे गोपाल जी।।

मैं भटकूं और तुम भटकाना
अन्त समय में शरण लगाना
दीन “छत्रधर” के प्रतिपाल जी
आवो आवो है मेरे गोपाल जी

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